5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti
अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा
शिवाष्टकस्तोत्र को सुबह- शाम किसी भी दिन पढ़ सकते है।
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
अर्थ- हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा website शत्रुन क्षयकारी॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥